उधर, झोंपड़े के अन्दर लेटे-लेटे, कई घण्टे की विफल खोज के बाद घीसू गंगो को आश्वासन दे रहा था: ” मुझे कौन काम सिखाने आया था? सभी गलियों में ही सीखते हैं।
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उधर, झोंपड़े के अन् दर लेटे-लेटे, कई घण् टे की विफल खोज के बाद, घीसू गंगो को आश् वासन दे रहा थाः “ मुझे कौन काम सिखाने आया था? सभी गलियों में ही सीखते हैं।
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हाँ, स्वाधीन सुखी हैं, लेकिन, ओ व्याधा के कीर, बता, कैसा है आनन्द जाल में तड़प-तड़प रह जाने में? (१ ७) छूकर परिधि-बन्ध फिर आते विफल खोज आह्वान तुम्हें।